आज मैं अपने जीवन की एक और मीठी याद आप के साथ बाँट रही हूँ। मैं अपने कॉलेज के जमाने से ही बहुत स्पष्ट और बेबाक लड़की थी, अपनी पढ़ाई पूरी करते-करते तीन लड़कों से सम्बन्ध बना चुकी थी। लड़के-लड़कियों की चुदाई की व्यस्क कहानियाँ पढ़ना, ब्ल्यू फ़िल्में देखना मेरे लिये मामूली बात थी और मैं इस तरह की चीज़ों में बहुत रस लेती थी। इन्टर्नेट ने तो मेरी जैसी अच्छी घरों की लड़कियों को चुदक्कड़ बनाने का काम और दिल बहलाने का काम और भी आसान कर दिया था।

बात अभी कोई डेढ़ साल पहले ही की है। मेरा एक चचेरा भाई साहिल हमारे घर आया हुआ था। मेरे भाभी-भैया गणपति उत्सव के लिये अपने कोकण जा रहे थे। साहिल भी सभी के साथ घुलमिल कर हंसी-मजाक करता था। पर वो सबकी नजर बचाकर जिस तरह मुझे देख रहा था, उसकी नीयत समझने में मुझे देर नहीं लगी। एक बार वो हॉल में वो अकेले अखबार पढ़ रहा था कि मैं भी हॉल में पहुँच कर उसके सामने उसकी तरफ़ पीठ करके झुक कर सोफ़े के नीचे से गिरे पेन को निकाल रही थी तो मैंने झटके से अपना सर घुमा कर उसे पीछे देखा। वो अखबार की जगह मेरे पीछे के चूतड़ों को एकटक घूर रहा था। उठते हुए मैंने उसके पजामे में से उभरते हुए उसके लण्ड के उभार को भी स्पष्ट देखा। उसके उभरते हुए लण्ड को देख कर मैं मुस्करा दी। मुझे यह सब बुरा नहीं लगा बल्कि अच्छा ही लगा। आखिर वो भी एक मर्द ही था।

मेरी भारी-भरकम गाण्ड को देख कर उसके लण्ड का खड़ा होना मेरे लिये तो गर्व की बात थी। वो समझ गया था कि मैंने उसे रंगे हाथ पकड़ लिया है। मेरी कंटीली मुस्कान से उसकी हिम्मत और भी बढ़नी ही थी। मैं भी पजामे के ऊपर से ही उसके लण्ड का एक्स-रे कर ही चुकी थी। इतने में मम्मी आ गई। साहिल ने अखबार से अपने लण्ड के ऊपर परदा कर लिया।

Click here read full story - indiansexstories